आखिरी दौर में
आखिरी दौर में
अटके प्यार में
एक बार कह दो
तुम्हारी चाहत क्या
जीवन दे कर भी
खुश रख सकूं
समझूंगा
हर खुशी मिली मुझे
मुमकिन नहीं
तो
जी भर पीने दे मुझे
तेरी मस्त ऑंखें
कभी ये मयखाना
भूल भुलैया में मत उलझा मुझे
जाम ओंठो तक ले जाऊं
उससे पहले
तोड़ देने पर विवश कर दो मुझे
पिलाओ इतनी मस्त आँखों से
मयखाना याद न आए मुझे
आखरी दौड़ में
अटके प्यार में
एक बार कह दो
तुम्हारी चाहत क्या
मौलिक रचना
उदयवीर भारद्वाज
भारद्वाज भवन
मंदिर मार्ग कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश 176001
मोबाइल 94181 87726
Abhinav ji
08-Jun-2023 09:03 AM
Very nice 👍
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Punam verma
08-Jun-2023 07:51 AM
Very nice
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Gunjan Kamal
08-Jun-2023 07:22 AM
👏👌
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